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लेखनी कहानी -30-Sep-2022


चाहे शादी हो या मैयत मुकद्दर आजमाते हैं
बड़े अरमान लेकर वो हर एक दावत में जाते हैं
कहीं जूते बदलते हैं कहीं चप्पल उठाते हैं
अगर पूड़ी नहीं मिलती तो बर्तन लूट लाते हैं।

तुम्हारी आँखों के बादल भला क्यों रूठ जाते हैं
हमारी मुश्किलों को देखकर ये मुस्कुराते हैं
के जिस तूफान में आशिकों के आशियाने उजड़ जाएं
उसी तूफान में हम कच्छा बनियाइन सुखाते हैं


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7 Comments

Raziya bano

10-Oct-2022 09:30 PM

Bahut sundar rachna

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Palak chopra

01-Oct-2022 11:54 PM

Bahut khoob 💐👍

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Anshumandwivedi426

01-Oct-2022 11:57 PM

सादर धन्यवाद

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Gunjan Kamal

01-Oct-2022 11:43 AM

बिल्कुल सही। अपनी रचना में कवर फोटो लगाए आदरणीय

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Anshumandwivedi426

01-Oct-2022 12:07 PM

जी प्रयास किया था लग नहीं पाया

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